मानव की उत्पत्ति और विकास

 मानव की उत्पत्ति और विकास आज से दो-तीन  करोड़ों वर्ष पूर्व पाई जाती है
मानव उत्पत्ति की एवं विकास दो भागों में बांटा जाता है
पहला तृतीयक युग यानी प्राचीन काल में मानव की उत्पत्ति होती है
और दूसरा मानव का विकास प्राईमेटस कॉल में होता है

प्राईमेट्स मानव यानी स्तनधारियों का समूह जिसमें वानर गोरिल्ला छछूंदर चिंपांजी मानव वानर जिसमें से मानव बांनर को रामापीथिकस मानव कहा गया
जो दो करोड़ वर्ष पूर्व पाया जाता है इसकी लंबाई तीन-चार फिट होती थी 
यह अफ्रीका में पाया जाता था वहां से वह दो भागों में गया  

एक अफ्रीका के मैदानों में और दूसरा अफजा के जंगल में ही रह गई 
जो अफ्रीका के मैदानों में गया उसे ऑस्ट्रेलोपीथिकस मानव कहा गया 
जिसे हम आज आज पूर्वज के नाम से जानते हैं
 यहअफ्रीका के ट्रांस में पाया गया और जो मानव जंगलों में रह जाता है उससे महाकवि या बांदर कहते हैं 

ऑस्ट्रेलोपीथिकस के बारे में जानते हैं जो निम्न है 

ऑस्ट्रेलोपीथिकस मानव को आज पूर्वज कहलाते हैं इसके विकास में साउथ अफ्रीका के ट्रांसवाल में मैं खोपड़ी पाई जाती है 
ऑस्ट्रेलोपीथिकस मानों के बाद होमो हैबिलिस मानव का विकास होता है
 जो इसकी अगली पीढ़ी कहलाती है होमो हैबिलिस का अर्थ होता है
 हाथ पर कम भार रखना यानी पहली बार यह मानव अपने हाथों का प्रयोग करके औजार बनाने का प्रयोग करता है
 और उसका अपने जीवन में उपयोग करता है
 होमो हैबिलिस मानव के बाद हिडल वर्ग मानव का विकास होता है 
जो यूरोप में मैं विकास होताा है और वहीं पर समाप्त् हो जाता है 
हिडल वर्ग के बाद होमो इरेक्टस मानव का विकास होता है  जो दो भागों में बांटा जाता है 
पहला जावा पहला जावा मानव और दूसरा पीकिंग  मानव 

जावा मानव में पहली बार रीढ़ की हड्डी पााई जाती जो नरभक्षी था जावा द्वीप के सेलोन नदी पर रहता था उस गांव का नाम टेलीग्राम  है 
दूसरा पीकिंग मानव नरभक्षी था जिसमें 40 अस्थि पंजर थे इसमें जावा मानव की अपेक्षा रीड की हड्डी अधिक सीधी पाई जाती है
 यह औजार बनाने का प्रयोग जावा मानव के अपेक्षा अधिक कार्यशील था
 होमो इरेक्टर्स मानव के बाद नियंंडरथल मानव का विकास होता है
 जो पहली बार  आग का प्रयोग करता है  जो जर्मनी के  नियंडडर नदी  घाटी में रहता है  नियंडरथल मानव को ही संस्कृत का सूचक माना जाता है
  यह मानव पहली बार  आवास बनाता है  जिसका विभाजन वर्ग या श्रम विभाजन कहलाता है 
यह मानव लाश को दफनाने का कााम भी जानता था
 इस मानव के अंदर आत्मा की अमरता का भी संकल्पना पाई जाती है 
और इस मानव को अक्षर का भी ज्ञान था
 इस मानव के बाद क्रोममैगनन मानव का विकास होता है 
जो अधिक मस्तिक क्षमता वाला होता है इसके बाद 
 होमो सेपियंस  मानव का विकास  होता है  जो आज तीस हजार पूर्व बीसी भारत में विकास होता है
 जो उच्च पुरापाषाण काल में माना जाता है जो वैज्ञानिक मानव कहलाता है
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