जैव आवर्धन और जैविक ऑक्सीजन मांग

 जैव आवर्धन की परिभाषा

कल कारखानों द्वारा निष्कासित औद्योगिक कचरा तथा कृषि भूमि से बहा कर लाई गई विषैली भारी धातुएं एवं कीटनाशक प्रयोग में आने वाली दवाइयों के अवशेष अंत में आकर स्वच्छ जल में मिल जाते हैं जल में रहने वाले पादप  अपने अंदर प्रदूषक ओं को जल में से अवशोषित कर के अपने अंदर संग्रहित कर लेते हैं अभी  संग्रहित पदार्थ प्रदूषणो का सांद्रण होता है जो धीरे-धीरे कई गुना बढ़ जाता है इस प्रकार के पादप  को में एकत्रित हुए इस पदार्थ को जैव संचयन कहा जाता है जब इस पादप का भक्षण जंतु या छोटी मछलियां करती रहती है तो तब उनके शरीर में ऊतकों में प्रदूषण की मात्रा पादपों से कहीं ज्यादा हो जाती है इसी प्रकार या सांद्रता बड़ी मछलियों तक पहुंचकर कई गुना हो जाती है इस प्रकार कई जवी किस तरह से गुजरने पर प्रदूषक ओं की सांद्रता के बढ़ने की प्रवृत्ति को जैव आवर्धन कहते हैं


जैविक ऑक्सीजन मांग

जल के एक निश्चित आयतन में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ को विखंडित करने के लिए जीवाणुओं द्वारा आवश्यक ऑक्सीजन को जैविक ऑक्सीजन की मांग कहा जाता है या ऑक्सीजन कि वह मात्रा है जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघात उनके लिए आवश्यक होता है या नदियों और झीलों के लिए प्रदूषण सूचक कुंजी होता है जहां जैविक ऑक्सीजन की मांग उच्च है वहां पर वहां पर उपस्थित जल में ऑक्सीजन की मात्रा निम्न होती है जल प्रदूषण की मात्रा को जैविक ऑक्सीजन मांग के माध्यम से मापा जाता है परंतु इस माध्यम से केवल जल अपघटन का पता चलता है यह बहुत लंबी प्रक्रिया है इसीलिए प्रदूषण मापक के लिए जैविक ऑक्सीजन मांग का प्रयोग नहीं किया जाता है
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